आखिर पैंट उतरने के बाद क्यों पता चलता है कि आईडी फर्जी है
माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक ।
आजकल सोशल मीडिया पर फर्जी नाम-पते की आईडी की भरमार है। लड़की की आईडी के चक्कर मे पड़ कर लोग अपनी सामाजिक मान प्रतिष्ठा भी गंवा देते हैं। बाद में आईडी फर्जी होने का हवाला देते हुए अपने साथ फ्रॉड होने की दुहाई देते हैं। पर एक बात समझ से बाहर है कि जब आईडी फर्जी थी तो लोग इतने मन से चेटिंग में क्यों लगे रहे। जब आप को यह भी नहीं पता कि जिससे बात कर रहे वह बंदा या बंदी असल मे है कौन, फिर क्यों उसके सामने अपना पैंट उतार कर अपने संस्कारों के दर्शन कराते हैं। जब कोई आप का पैंट छीन कर आप को नंगा छोड़ देता है तभी क्यों याद आता है कि यह फर्जी है। तब तक तो आप के संस्कारों की झलक विश्व को मिल चुकी होती है।
सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार होते हैं ऐसे लोग
दर्शल लड़की के नाम की आईडी देख कर मचलने वाले लोग सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार कहे जा सकते हैं। जिनमें 40 वर्ष से ऊपर के लोगों की संख्या अधिक देखी जा रही है। यह वह लोग होते हैं जिनके अंदर सेक्स को लेकर हीनभावना होती है। यह लोग खुद को सेक्स के मामले में कमजोर पाते हैं। अपने पार्टनर को संतुष्ट करना इनके बस में नहीं होता। यही खीज इन्हें मानसिक बीमार बना देती है। यह लड़कियों से योन क्रियाओं से सम्बंधित बातें कर आनंद खोजते हैं। क्योंकि इस तरह की बातों से इन्हें मानसिक संतुष्टि मिलती है। सामने वाले को यह साबित करने का मौका मिल जाता है कि सेक्स के मामले में उनके पास अश्व पवार (घोड़े जैसी शक्ति) है। आखिर बातें ही तो करनी हैं इस तरह कीं। देखा गया है कि जो अपनी सेक्स लाइफ में खुद से सन्तुष्ट होता है वह फर्जी या असली आईडी के चक्कर मे कभी नहीं पड़ता।
लड़कियों के लिए बन जाते हैं सिरदर्द
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर महिला व पुरुष समान रूप से सक्रिय रहते हैं। यह सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय महिलाओं के लिए खासा सिरदर्द होते हैं। महिला से जुड़ने के बाद शेरोशायरी से इनकी शुरुआत होती है। जिसके बाद उसकी तारीफ के साथ ही उसे प्रपोज करने में भी देर नहीं लगाते। महिला ने यदि जवाब नहीं दिया तो उसे घमंडी साबित करने में देर नहीं लगती। एक साथ अनेक महिलाओं के सिरदर्दी का कारण बनने की क्षमता होती है ऐसे लोगों में। जिन्हें ब्लॉक करने के बाद उक्त महिला चैन की सांस भी नहीं ले पाती तब तक इन जैसे दूसरे महानुभाव की तारीफ भरी शायरी मैसेंजर पर आन टपकती है। अधिकांस महिलाओं व लड़कियों की समस्या यह होती है कि वह इनके बारे में किसी से कह भी नहीं पातीं। घर मे बताएं तो उनको ही सोशल मीडिया से दूर रहने की नसीहत दे दी जाती है। बाहर कोई सुने तो भी महिला ही गलत साबित होती है। लोग कहते हैं कि महिला ने ही उसे लिफ्ट दी होगी तभी वह आगे बढ़ा। मतलब गलती सामने वाले कि और सिरदर्द महिला को भुगतना है।
अराजकतत्व उठाते हैं इन बीमारों का फायदा
सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार लोगों की पहचान इनकी फेसबुक आईडी से हो जाती है। गौर करेंगे तो इनकी फ्रेंड लिस्ट में महिलाओं की संख्या काफी मिलेगी। महिलाएं भी वह जिनकी आईडी के प्रोफॉइल में कोई एक फेक फोटो चिपकी होती है। दरसल लड़की के नाम की आईडी देख कर इनका मन मचल उठता है, भले ही पहले 10 से इनकी चेटिंग चल रही हो। फेसबुक पर दोस्त बनते ही पहले बड़ी सादगी, वफादारी औऱ नजाकत भरे मेसेज करते हैं। फिर जल्दी ही अपने असली रूप में आते हुए अश्लीलता के सारे समुंदर लांघ जाते हैं। बस यही कमी का फायदा उठाकर खुराफाती लोग इन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। फिर जब यह अपनी खुद की करतूतों से ब्लैकमेल होते हैं तब जाकर याद आता है कि जिसके सामने पैंट उतारे खड़े हैं वह तो फर्जी है। फिर आईडी फर्जी होने से लेकर, अपनी आईडी हैक होने, चेटिंग व वीडियो चैट को एडिट किये जाने आदि ढेरों बहाने कर खुद को मासूम साबित करने में लग जाते हैं।
आदमी की क्यों फंसता है इन चक्करों में
सोशल मीडिया पर आए दिन किसी न किसी आदमी को संस्कारों की उल्टी करते हुए देखा जा सकता है। आदमी के अश्लील चैट वायरल होना आम बात होती जा रही है। आप ने भी बहुत से लोगों के साथ ऐसे होते देखा होगा। पर इन मामलों में लड़कियों या महिलाओं की संख्या न के बराबर है। कभी सोचा आप ने की आखिर लड़कियों या महिलाओं के स्क्रीन शॉट क्यों वायरल नहीं होते। में यह कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि लड़कियां या औरतें चरित्र के मामले में आदमियों से ज्यादा मजबूत होतीं हैं। वह सामाजिक मान मर्यादा ओर अपने घर परिवार की इज्जत की खातिर काफी सतर्क रहतीं हैं। किंतु एक आदमी बेशर्मी की किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं करता। समाज मे अपनी इज्जत उछलने के बाद भी वह लड़कीं या औरत को दोष देने में पीछे नहीं रहता। खुद की इज्जत की बारात निकालने के बाद भी बेशर्मी से खुद को सही साबित करने में लगा रहता है। जबकि महिलाओं पर झूठे आरोप लगने पर ही वह सहन नहीं कर पातीं।
Girl friend नहीं सिर्फ friend मानें
कोई सोशल प्लेटफार्म हो अथवा असली जिंदगी, लोग लड़कियों को लड़की मान कर दोस्ती करते हैं। मतलब उसमें दोस्त नहीं एक नारी शरीर को देखते हैं। जिनकी यह मानसिकता होती है वह दोस्ती जैसे रिश्ते को कलंकित करने से नहीं चूकते। कौन कहता है कि एक लड़का लड़की अच्छे दोस्त नहीं हो सकते। में तो कहता हूँ कि अपोजिट जेंडर से ज्यादा अच्छी दोस्ती किसी औऱ की नहीं हो सकती। बस जरूरत है नारी को नारी देह न मान कर एक इंसान की तरह ट्रीट करने की है। गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड की भावना निकाल कर सिर्फ फ्रेंड की भावना बलवती करनी होगी। जब हम उसे सिर्फ फ्रेंड मानेंगे तो नारी देह की ललक स्वतः ही दम तोड़ देगी। जरूरत है मानसिक कुंठा से निकल कर साफ सुथरा व्यक्तित्व बंनाने की।