उत्तर प्रदेशराज्यहमीरपुर

राठ के चिल्ली गांव में छह दिन में पन्द्रह मौतें, स्वास्थ्य विभाग बेखबर, दहशत में ग्रामीण

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नेहा वर्मा, संपादक ।

 

हमीरपुर जनपद में गोहाण्ड ब्लाक के चिल्ली गांव में वायरल बीमारी कहर मचाए हुए है। इस बीमारी की चपेट में आकर एक सप्ताह में पन्द्रह लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में अधिकांश वृद्ध ग्रामीण हैं। इस सब से बेखबर स्वास्थ्य महकमा गहरी नींद में सो रहा है। अचानक बीमारी से मौतें होने पर गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीण अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं।

 

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कोरोना के कहर के साथ ही मौसम के उतार चढ़ाव से ग्रामीण क्षेत्र में बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। गोहाण्ड विकासखंड के चिल्ली गांव में वायरल का प्रकोप फैला हुआ है। एक सप्ताह में चिल्ली गांव के कालीचरण (80), लिखनी (75), शान्ति (62) पत्नी दसरथ, शरीफन (50 ) पत्नी मुन्ना, मनकी (80) पत्नी खूबा, खयाम (70), मदारी (75), श्यामबिहारी (45) पुत्र हरिदास, शिवनारायण बाबा (80), हिम्मत (75), बाबूराम (78), प्रभू (75), श्यामलाल (81), विरंचि (80) व चंद्रशेखर (42) पुत्र पंचमलाल की मौत हो चुकी है।

 

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मृतक चंद्रशेखर एक कालेज में प्रवक्ता थे। कोरोना पाॅजिटिव होने के कारण दिल्ली में उपचार के दौरान उनकी मौत हुई है। उनके शव का अंतिम संस्कार गांव में ही किया गया है। वहीं अन्य सभी की मौत सर्दी, जुकाम, बुखार से होना बताया जा रहा है। बीमारी से लगातार हो रहीं मौतों से गांव में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीण अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। गोहांड सीएचसी प्रभारी डाॅ अंजुम निरंजन ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें जानकारी हुई है। शनिवार को गांव में टीम भेज कर जांच कराई जाएगी।

 

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चिल्ली गांव में गांव के दोनों ओर दो मोक्षधाम बने हैं। जहां पर मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है। किसी भी मोक्षधाम में टीनशेड की व्यवस्था नहीं है। बारिश होने खुले में शवों का अंतिम संस्कार करना संभव नहीं होता। वहीं खुले मैदान में पानी भरने से ग्रामीणों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव में हो रहीं लगातार मौतों के बाद खराब मौसम अंतिम संस्कार में बाधक बन रहा है। शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मौसम खुलने का इंतजार करना पड़ता है।

 

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गांव में बीमारी का प्रकोप होने के बाद भी ग्रामीण कोरोना जांच कराने से कतराते हैं। गांव में जांच शिविर लगने पर ग्रामीण जांच कराने नहीं पहुंचे हैं। वहीं सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर भी कोरोना जांच के लिए नहीं जाते हैं। प्राइवेट अस्पतालों से उपचार करा स्वस्थ्य होने का इंतजार किया जाता है। डाॅ अंजुम निरंजन से ने कहा कि ग्रामीण कोरोना जांच कराने से डरते हैं। ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। जिससे सभी की जांच कर संक्रामक बीमारियों से बचाया जा सके।

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