किस काम के माननीय व साहब लोग, जब जनता को हक के लिए सड़क पर उतरना पड़े
नेहा वर्मा, संपादक ।
सड़क, बिजली व पानी किसी भी क्षेत्र के निवासियों की मूलभूत जरूरतों में आतीं हैं। क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि जनता समुचित सुविधा उपलब्ध कराई जाएं। किन्तु जब जिम्मेदार ही इस ओर ध्यान नहीं देते तो मजबूरी में लोगों को अपनी आवाज उठाने के लिए विभिन्न रास्ते चुनने पड़ते हैं। ऐसा ही कुछ करने जा रहे हैं हमीरपुर जनपद में राठ क्षेत्र के सदर गांव के वासिंदे।
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सदर गांव के जनसेवक मलखान सिंह निषाद के नेतृत्व में करीब एक सैकड़ा ग्रामीणों ने समाधान दिवस में ज्ञापन सौंपा। बताया कि बसेला स्टैंड से गांव तक तीन किलोमीटर डामर संपर्क मार्ग पूरी तरह से उखड़ चुका है। मार्ग में बड़े बड़े गड्ढे हैं। जिनसे ग्रामीण दुर्घटना का शिकार बन रहे हैं। बच्चों को स्कूल आने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों सहित उच्चाधिकारियों से गुहार लगाते ग्रामीण थक चुके हैं। उपेक्षा से आहत ग्रामीणों ने कहा कि सड़क न बनने पर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
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राठ विधानसभा के सदर (कैंथा) गांव में करीब आठ सौ मतदाता हैं। एक ओर शासन की मंशा अनुरूप प्रशासन शतप्रतिशत मतदान के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। वहीं पांच साल तक सड़क निर्माण की मांग करने के बाद मजदूर ग्रामीणों को मतदान बहिष्कार का निर्णय लेना पड़ा। सवाल उठता है कि ऐसे में सरकार की शतप्रतिशत मतदान की मंशा कहां तक पूरी हो पाएगी। बनी हुई सड़कों को उखाड़ कर फिर से बनाने की प्रक्रिया के बीच क्या इस उखड़ी हुई सड़क निर्माण के लिए कोई जनप्रतिनिधि, अधिकारी पहल नहीं कर सकता था।