फादर्स डे स्पेशल; संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार हैं मेरे पापा
माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक ।
मां के कदमों में जन्नत है तो पिता उस जन्नत का दरवाजा है। अपने सुख दुख की परवाह न कर बच्चों के लिए दुनियां की सारी खुशियां देने की चाह रखता है पिता। खुद को कठोर बनाकर हमें कठिनाइयों से लड़ने की सीख देता है पिता। एक पिता ही है जो कभी मां का दुलार, कभी शिक्षक की फटकार तो कभी दोस्त बनकर कहता है, मैं तुम्हारे साथ हूं। इस कोरोना महामारी ने किसी पिता से उसके जिगर का टुकड़ा छीना है, तो किसी मासूम के सिर से उसके पिता का साया हमेशा के लिए जुदा कर दिया। फादर्स डे पर डबडबाई आंखों से कोई पुत्र अपने पिता की तस्वीर के सामने प्रार्थना कर रहा है, तो किसी वृद्ध पिता की आत्मा बेटे को याद कर खून के आंशू रो रही है।
तस्वीर के सामने बोले बच्चे, मिस यू पापा
नगर के मुगलपुरा मोहल्ला निवासी 22 वर्षीय जुड़वां भाई प्रखर व प्रांजुल इस बार फादर्स दे पर अपने पिता व मां की तस्वीर के सामने भरी आंखों से बैठे हैं। कोरोना ने उनके सिर से मां व पिता का साया अलग कर दिया। उनके पिता कृष्ण कुमार कौशल (50) प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे। पंचायत चुनाव का प्रशिक्षण लेकर लौटने के बाद 11 अप्रैल को बुखार आया। 16 को झांसी में जांच के दौरान कोरोना पाॅजिटिव पाए गए। अगले ही दिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। 17 अप्रैल को जांच में उनकी पत्नी कमला कौशल (47) कोरोना पॉजिटिव निकलीं। 1 मई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दो बेटी प्रेरणा तथा कनिका की शादी हो चुकी है। मां पिता का सिर से साया उठने पर दोनों बेटे मध्य प्रदेश के सतना निवासी बहन के घर में शरण लिए हैं।
बेटे की मौत पर पथराईं वृद्ध की आंखें
मंगरौठ गांव निवासी हरीचरन पाल (80) परिषदीय विद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उनके इकलौते पुत्र रतन पाल (51) पूर्व माध्यमिक विद्यालय मंगरौठ में प्रधानाध्यापक थे। पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमित होने पर 2 मई को ग्वालियर में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। वृद्धावस्था में इकलौते पुत्र की मौत से हरीचरन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। नाती अक्षय प्रताप (21) व अनुज (19) की जिम्मेदारी बूढ़े कंधों पर आ गई है। खुद चलने फिरने में असमर्थ हैं। वहीं नाती अनुज पैरों से दिब्यांग हैं। हरीचरन पाल कहते हैं कि इकलौते बेटे की असमय मौत से उनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया है।
मासूमों को अब भी है पिता का इंतजार
नगर के मुगलपुरा निवासी मासूम जुनैद बेग (12) व उबैश बेग (7) के लिए कोरोना की पहली लहर कहर बनकर आई। एक सप्ताह तक बुखार से पीड़ित उनके पिता वरिष्ठ लेखक रईस बेग की हालत बिगड़ गई। 14 जुलाई 2020 को सीएचसी राठ से उपचार के लिए उरई ले जाते वक्त रास्ते में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद उनकी पत्नी रेहाना परवीन दोनों मासूमों को मां के साथ ही पिता का प्यार दे रहीं हैं। जुनैद व उबैश को हर जिद पूरी करने वाले पिता की कमी खल रही है। फादर्स डे पर दोनों बच्चे अपनी पाकेट मनी बचाकर पिता के लिए गिफ्ट लाते थे। इस बार दोनों मासूमों की डबडबाई आंखें पिता की तस्वीर में उन्हें खोजने का प्रयास कर रहीं हैं।