भावनाओं से खेलना लोगों का पसंदीदा खेल बन गया, जिसमें चैंपियन बनने की मची होड़
माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक ।
इश्क के नाम पर कितने गुनाह होते हैं,
उनसे पूँछिए जो इश्क में तबाह होते हैं।
हम रात भर जिनके लिए तड़पते हैं,
जख्म देकर भी वो बेपरवाह सोते हैं।।
माना कि हमारे जज्बात कुछ ज्यादा थे लेकिन,
प्यार में जज्बात ही तो अहम होते हैं।
जिनके लिए थमते नहीं हैं अश्क मेरे,
वो कहते हैं कि मर्द भी कहीं रोते हैं।।
जिंदगी में हम कभी कभी किसी सख्स से इस कदर जुड़ जाते हैं कि उसके बिना खुद का अस्तित्व ही नकार देते हैं। उस शख्स की छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना, उसकी सब से ज्यादा परवाह करना, उसके चेहरे पर एक मुस्कान देखने के लिए कुछ भी कर गुजरना आदत में शामिल हो जाता है। हम उस व्यक्ति को सफलता की उन बुलंदियों पर देखना चाहते हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात न हो। पर यह तो जरूरी नहीं कि हमने जिसे अपनी जिंदगी मान लिया है वह भी हम से उतनी ही चाहत रखे।
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आज की दुनियां में चाहत दिल बहलाने का साधन बनकर रह गयी है। आप की अटूट चाहत किसी का दिल तो बहला सकती है पर उसके दिल मे भी वही चाहत पाने का सपना आप के जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है। भावनाओं से खेलना इंसान का पसंदीदा खेल बन गया है। यदि आप किसी से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, और सामने वाला व्यक्ति आप के प्रति संवेदनहीन है तो आप का खौफनाक अंत निश्चित है। क्योंकि आप ने तो उस को अपनी जिंदगी बना लिया है। उसके बिना जिंदगी की कल्पना करना भी आप के लिए संभव नहीं है। पर उस व्यक्ति के लिए आप कुछ भी नही हैं।
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पहले तो आप को यह यकीन ही नहीं होगा कि जिसके लिए आप ने सारी दुनिया से नाता तोड़ लिया है, वह आप का है ही नहीं। पर उसकी असंवेदनसीलता और आप की भावनाओं से खेलना एक न एक दिन आप को सच्चाई से रूबरू करा ही देगा। भले ही वह कितनी ही सफाई से आप का होने का यकीन दिलाये। पर दिल चुगली कर ही देता है। आप के प्रति उसकी उदासीनता व लापरवाही दिन प्रतिदिन सामने आती जाएगी। जब आप को यह विश्वास हो जाएगा की वह सिर्फ आप की भावनाओं से खेल कर अपना दिल बहला रहा है तब आप इस कदर टूट जाते हैं कि दोबारा उठना संभव ही नही हो।
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जब हमें यह पता चलता है कि जिस व्यक्ति को हम अपना सब कुछ मान चुके हैं, उसकी नजर में हमारी कोई कीमत नहीं है, तब हम उस राह पर चल निकलते हैं जिसका अंजाम तबाही के अलावा कुछ नहीं है। क्योंकि हम तो उसे जिंदगी मान बैठते हैं। और जिंदगी से धोखा मिलने के बाद मौत को गले लगाना बहुत आसान होता है। वह व्यक्ति तो आप की भावनाओं से खेल कर खुश है, पर आप उस आग में जलने लगते हैं जिसकी तपिश फौलाद को भी पिघला दे। विश्वास मानिए फौलाद को भी पिघलाने वाली आग भावनाओं से खेलने वालों को नहीं पिघला सकती है।
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आप उनके सामने जलते रहें, तड़पते रहें, पल पल मौत की ओर बढ़ते रहें, पर उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला। उनके लिए आप की जिंदगी से बढ़कर अपनी खुशी मायने रखती है। आप को तड़पता छोड़ कर भी वह अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लेते हैं। क्योंकि उनके अंदर आप के लिए कोई भावना ही नहीं है। बस भावनाओं का वह खेल है जिसने आप को बरबादी की राह पर ढकेल दिया है। आप की हैरानी उस समय और भी बढ़ जाएगी जब आप के मौत की कगार पर पहुंचने के बावजूद उस शख्स को इसकी कोई परवाह न हो। ऐसे लोग आप के होने का दिखावा बखूबी कर लेते हैं। भावनाओं के शिकारियों का सबसे बड़ा हथियार दिखावा ही होता है। इसी हथियार से वह इतनीं खूबसूरती से आप को कत्ल करते हैं कि आप के मुंह से उफ तक न निकले।
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ऐसे लोगों का सबसे आसान शिकार भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति होते हैं। इसी कमजोरी का फायदा उठा कर कोई आप की भावनाओं से खेल सकता है। पर आप मजबूर होते हैं। आप चाह कर भी इस खेल के खिलाड़ी नही बन सकते। क्योंकि यह आप के जमीर को मंजूर नहीं। आप सिर्फ उस खिलाड़ी के खेल का मोहरा बनकर रह जाते हैं जिन्हें यह पता ही नहीं होता कि भावनाएं व जमीर किस चिड़िया का नाम है। वह जानते हैं तो सिर्फ आप की भावनाओं से खेलना और अपनी दुनियां में मस्त रहना। उनके लिए कोई अपनी जान देता है तो उनकी बला से।
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एक वक्त ऐसा भी आता है जब आप पर खुद को मौत के आगोश में सुला कर उसे अपनी चाहत व उसकी बेवफाई का एहसास दिलाने का जुनून सवार हो जाता है। पर आप को यह समझना चाहिए कि आप की मौत से भी उस व्यक्ति को ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। जो आप को पल पल मरता हुआ देख कर भी न पसीजा हो, उसे आप की मौत से क्या फर्क पड़ता है। क्योंकि वह तो आप की भावनाओं से खेल रहा था। अब खेल में खिलौना टूटते ही हैं। पर आप की इस बर्बादी का अंजाम उन लोगों को खून के आंसू रुलाते हैं जिनके लिए आप ही उनकी दुनियां हो।
Kisi ko itna haq hi nahin dena chahiye ki vah hamari feeling se khel sake
Nice article
Bahut sahi lekh, yahi ho raha hain riston menin