लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनीं रमाकांति राजपूत, देखें साइकिल से हवाई जहाज तक संघर्ष का सफर
नेहा वर्मा, संपादक ।
कहते हैं कि जब आसमान में उड़ान का हौसला हो तो अरमानों को पंख मिलते देर नहीं लगती। पुरुष प्रधान समाज मे भले ही बेटों को आगे बढ़ने के समस्त संसाधन उपलब्ध हों, फिर भी अभाव में पल रहीं बेटियां खुद को साबित करने में कोई कसर नहीं लगतीं। अभावों से जूझ कर एक ऐसी ही सफलता की कहानी रची है उत्तर प्रदेस में पिछड़े बुंदेलखंड की बेटी हमीरपुर जनपद निवासी रमाकांति राजपूत ने।
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पिता के साथ साइकिल पर बैठ कर गांव गांव में बाल पेंटिंग करने वाली राठ क्षेत्र के औंता गांव की मूल निवासी रमाकांती राजपूत आज एयर फोर्स में शामिल होकर आसमान छू रहीं हैं। भले ही वह आज सफलता के शिखर पर बैठ कर अपने घर, परिवार, समाज व क्षेत्र का नाम रौशन कर रहीं हैं, पर उनकी इस सफलता के पीछे एक लंबा संघर्ष छिपा हुआ है। अभावों में पली इस बेटी ने संघर्षों से कभी हार नहीं मानी। अपने माँ पिता के लिए बेटे से बढ़ कर फर्ज पूरा किया। उन्हें क्षेत्र का प्रत्येक व्यक्ति पेंटर रमाकांती के नाम से जानता है।
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राठ क्षेत्र के औंता गांव निवासी फूलसिंह राजपूत के हिस्से में मात्र दो एकड़ खेती है। उनकी तीन बेटियां व दो बेटे हैं। नाममात्र की जमीन से परिवार का गुजारा नहीं चलता था। घर की आर्थिक तंगी देख उनकी दूसरे नंबर की बेटी रमाकांती ने कुछ करने की ठानी। कला में रूचि होने के चलते कक्षा 6 की पढ़ाई करते हुए रमाकांती दीवारों पर पेंटिंग करने लगीं। मात्र 12 साल की उम्र में वह पूरे क्षेत्र में रमाकांती पेंटर के नाम से पहचान बना चुकीं थीं। उनकी इस लगन में पिता फूलसिंह ने भी पूरा साथ दिया।
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पिता अपनी बेटी को साइकिल पर बैठा कर गांव गांव लेखन कार्य कराने ले जाते थे। रमाकांती ने लेखन कार्य को अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया। इंटर तक की पढ़ाई राठ से करने के बाद झलोखर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। आईटीआई स्कूल उरई से पेंटर जनरल ट्रेड में प्रशिक्षण लिया। आईटीआई राठ से फिटर का कोर्स भी किया। इसी बीच वर्ष 2013 में भारतीय वायुसेना के ग्रुप सी में टेक्नीशियन के रूप में उनका चयन हो गया। इस समय वह बैंगलोर में तैनात हैं। रमाकांती कहतीं हैं कि यदि ठान लें तो कोई भी काम असंभव नहीं है। वह आज भी अपने संघर्ष के दिनों को नहीं भूलीं हैं।
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रमाकांती राजपूत की एक औऱ खूबी से आप को अवगत कराना जरूरी है। वह अपने व्यस्त समय मे भी सामाजिक कार्यों से पीछे नहीं रहतीं। इस समय वह रक्तदान की मुहिम चला रहीं हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करतीं हैं। रमाकांती राजपूत अभी तक खुद चार बार रक्तदान कर चुंकीं हैं। वह कहतीं हैं कि उस दान से बढ़कर क्या होगा जिससे किसी की जिंदगी बचाई जा सके। समय पर रक्त न मिलने से अनेक लोग असमय ही मौत के मुंह मे समा जाते हैं। हमारे द्वारा किये गए रक्तदान से ऐसे लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
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रमाकांती राजपूत वक्त मिलने पर लांग ड्राइव पर जाने से नहीं चूकतीं। बाइक से लेकर कार तक हर तरह के वाहन चलाने में उन्हें महारत हासिल है। बुलेट पर तो ऐसे फर्राटा भरतीं हैं कि उनकी ड्राइव देखकर लोग दंग रह जाते हैं। जब रमाकांती पेंटिंग करतीं थीं तब पलक झपकते ही पानी की ऊंची टंकी पर चढ़ जातीं थीं। उनके शरीर की फुर्ती अच्छे जिम्नास्टिक को भी मात दे जाए। जब भी वह छुट्टी में घर आतीं हैं तो अधिकांश समय अपने परिजनों के साथ बिताना पसंद करतीं हैं। अपनी इस जांबाज बेटी पर समूचा क्षेत्र नाज करता है।