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राहुल गांधी को कोर्ट की फटकार: सेना पर टिप्पणी पर हाईकोर्ट ने लगाई लताड़

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rahul gandhi army comment: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को भारतीय सेना पर टिप्पणी को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी सीमाएं होती हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

 

 

राहुल गांधी को हाईकोर्ट से झटका, सेना पर टिप्पणी को लेकर आई सख्त टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है। यह फटकार भारतीय सेना पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए दी गई है, जो उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कही थी।

 

 

rahul gandhi army comment में कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने साफ किया कि:

“भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(A) भले ही भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन यह आजादी उचित प्रतिबंधों के अधीन होती है।”

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि यह स्वतंत्रता किसी को भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देने की छूट नहीं देती।

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rahul gandhi army comment: याचिका हुई खारिज

राहुल गांधी ने इस मामले में निचली अदालत के समन को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि:

  • राहुल गांधी के पास सत्र न्यायालय में अपील करने का विकल्प है।
  • शिकायत और गवाहों के बयानों से प्रथम दृष्टया मामला बनता है

rahul gandhi army comment: शिकायत किसने दर्ज की?

यह मामला उदय शंकर श्रीवास्तव की शिकायत पर आधारित है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

राहुल गांधी के वकील ने इस याचिका को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि इसमें कोई दम नहीं है। वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि गांधी की याचिका स्वीकार्य नहीं है।

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी सीमाएं

यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या राजनीतिक बयानबाजी में भारतीय सेना जैसे संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी करना उचित है?

भारत का संविधान सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन जब यह आजादी राष्ट्रहित, शांति व्यवस्था या प्रतिष्ठित संस्थाओं के सम्मान से टकराने लगे, तो कानूनी कार्रवाई संभव है।

राहुल गांधी पर कोर्ट की यह टिप्पणी केवल एक राजनेता की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर एक बड़ी नसीहत है। चाहे कोई भी नेता हो, सेना जैसी संस्थाओं के सम्मान को लेकर बयान देने से पहले सोच-समझकर बोलना ज़रूरी है।

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