उत्तर प्रदेशराज्य

शादी में नाचते घोड़े: क्या ये परंपरा पशु क्रूरता नहीं है ? Animal rights in India

Spread the love

शादी में नाचते घोड़े: भारतीय शादियों में हंटर से घोड़ों को नचाना एक परंपरा बन गई है।

 

नेहा वर्मा, संपादक, विराट न्यूज नेशन ।

 

 

घोड़े की पीड़ा के पीछे की चमक

शादी में नाचते घोड़े भारतीय शादी-विवाहों में एक बेहद आम दृश्य है – दूल्हा सफेद सजे-धजे घोड़े पर सवार होता है, और बैंड-बाजे के साथ उस घोड़े को नचाया जाता है। कई बार लोग खुशी से चिल्लाते हैं – “घोड़ा नचाओ!” और तभी एक घुड़सवार या घोड़े वाला हंटर उठाकर जानवर को पीटना शुरू कर देता है। यह सब ‘शो ऑफ’ और परंपरा के नाम पर होता है।

लेकिन क्या कभी आपने उस घोड़े की आंखों में झांक कर देखा है?

 

यह भी पढ़ें  dj sound noise pollution: डीजे- खुशी या परेशानी, जानिए DJ साउंड नियम, दुष्प्रभाव और समाधान

 

क्या कहते हैं पशु अधिकार कार्यकर्ता?

पशु अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करने वाले संगठनों जैसे PETA India और FIAPO का कहना है कि शादी में घोड़ों को इस तरह मारकर नचाना सीधी-सीधी पशु क्रूरता (Animal Cruelty) है। Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960 के तहत यह गैरकानूनी भी है।

  • घोड़े को नचाना शादी में
  • हंटर से घोड़े की पिटाई
  • भारतीय विवाह में पशु क्रूरता
  • शादी में घोड़े का उपयोग
  • cruelty to horses in Indian weddings
  • animal rights in India
  • ghode ko nachana in wedding

परंपरा या पागलपन?

पुराने समय में घोड़े शाही सवारी का प्रतीक माने जाते थे। लेकिन आज के दौर में, जब शादी में कारें, बग्घियां और इलेक्ट्रिक वाहन तक चलन में हैं, तो घोड़े को मार-मार कर नचाना किस परंपरा का हिस्सा रह गया है?

घोड़े की पीठ पर लगे भारी बंधन, कान फाड़ देने वाला शोर, और बार-बार मार पड़ने पर उसका केवल सिर झटकना, टांगें हिलाना – यही उसके नाचने की परिभाषा बन गई है।

 

यह भी पढ़ें  लाखों करोड़ों की वक्फ़ संपत्तियां फिर भी 31 प्रतिशत मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे – फैसल सिद्दीकी

 

मार्मिक उदाहरण:

राजस्थान के अजमेर में एक शादी में घोड़ा लगातार हंटर से पीटे जाने के बाद बेकाबू हो गया और सड़क पर गिर पड़ा। वीडियो वायरल हुआ, लोग चीखते रहे, लेकिन घोड़े की पीड़ा किसी ने महसूस नहीं की। यह केवल एक उदाहरण नहीं, हजारों घटनाएं हर साल होती हैं।

कानूनी दृष्टिकोण:

भारतीय कानून के मुताबिक:

  • जानवरों पर अनावश्यक बल प्रयोग दंडनीय अपराध है।
  • शादी या किसी समारोह में जानवरों का “मनोरंजन” के लिए प्रयोग करना अनुचित और अवैध है यदि वह उन्हें पीड़ा पहुंचाता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 जानवरों को नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना और सज़ा का प्रावधान करती है।

 

यह भी पढ़ें  Kanpur Fire Tragedy: कानपुर में भीषण अग्निकांड, जूता व्यापारी, पत्नी व तीन मासूम बेटियां जिंदा जलीं

 

क्या है समाधान?

  • शादी में घोड़े के बजाय बैटरी चालित वाहन, बग्घी, या ई-रिक्शा का इस्तेमाल करें।
  • अगर घोड़े का उपयोग करें तो प्रशिक्षित और क्रूरता रहित तरीकों से करें।
  • बैंड-बाजे के शोर को सीमित रखें ताकि जानवर भयभीत न हों।
  • शादी में पशु-अधिकार संगठनों की गाइडलाइंस अपनाएं।

 

क्या कहती है संवेदनशीलता?

हर जानवर में एक दिल धड़कता है। उसका भी शरीर है, भावनाएं हैं। सिर्फ इसलिए कि वह बोल नहीं सकता, हम उसे तकलीफ पहुँचाने का हकदार नहीं हो जाते। शादी खुशी का अवसर है – किसी की पीड़ा पर टिकी खुशी क्या वाकई स्थायी होती है?

 

यह भी पढ़ें  Ketu Transit in Leo: केतू का सिंह राशि में गोचर: इन राशियों के लोग रहें सावधान

 

समय रहते इस परंपरा को कहें अलविदा

शादी में घोड़ों को हंटर से नचाना एक दिखावटी परंपरा बन चुका है, जो न सिर्फ पशु क्रूरता को बढ़ावा देती है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी कुचलती है। अगर हम वाकई एक संवेदनशील समाज बनाना चाहते हैं, तो ऐसी परंपराओं को समय रहते अलविदा कहना ही होगा।

 

 

Call to Action:

यदि आप भी शादी में घोड़ों के साथ होने वाली क्रूरता के खिलाफ हैं, तो इस आर्टिकल को साझा करें और पशु-अधिकार संगठनों का समर्थन करें।

Join PETA India’s Campaign
Support FIAPO’s Animal Welfare Programs

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!