उत्तर प्रदेशदेश

वर्ष 2022 का स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार शिक्षा व गौसेवा के लिए भादरिया जी महाराज को

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नेहा वर्मा, संपादक ।

 

Swami Brahmanand Award for the year 2022 to Bhadaria Ji Maharaj
संत हरबंस सिंह निर्मल उर्फ भादरिया जी महाराज

हमीरपुर जनपद में राठ नगर स्थित स्वामी ब्रह्मानंद की समाधिभूमि पर स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार की घोषणा की गयी। वर्ष 2022 का यह पुरस्कार शिक्षा और गौसेवा दोनों के लिए संत हरबंश सिंह निर्मल उर्फ भादरिया जी महाराज को मरणोपरांत प्रदान किया जायेगा। पुरस्कार समिति के कार्यकारी अध्यक्ष मनोहर सिंह ने समिति की सहमति बनने पर पुरस्कार की घोषणा की।

पुरस्कार समिति के कार्यकारी अध्यक्ष मनोहर सिंह ने बताया कि जुगल किशोर आसेरा के प्रस्ताव पर स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार समिति ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष की तरह स्वामी ब्रह्मानंद जी के निर्वाण-दिवस 13 सितम्बर को राठ में संत भादरिया द्वारा स्थापित श्री जगदंबा सेवा समिति के मंत्री को सौंपा जायेगा। बतादें प्रत्येक वर्ष 13 सितंबर को स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार शिक्षा और गौसेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले भारतीय व गैर भारतीय नागरिकों को प्रदान किया जाता है।

 

पुरस्कार स्वरूप विजेता को दस हज़ार रुपये, स्वामी ब्रह्मानंद की कांस्य प्रतिमा, एक कांस्य पदक, अंगवस्त्र और सनद प्रदान किया जाता है। इससे पहले ये पुरस्कार गौसेवा के क्षेत्र में जर्मनी की फ्रेडरिक ईरीना ब्रूनिंग को तथा शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. अरुण प्रकाश व सुपर-30 फेम आनन्द कुमार को प्रदान किया जा चुका है। वर्ष 2022 का स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार शिक्षा एवं गौसेवा दोनों ही क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य करने वाले संत भादरिया को मरणोपरांत प्रदान किया जायेगा।

 

संत भादरिया ने राजस्थान से सटी पाकिस्तानी सीमा पर गायों की तस्करी की रोकथाम की। अकाल के दौर में लाखों गौवंशों को संरक्षण देकर उन्हें मौत के मुंह से बचाया। लगभग पैंतालीस हजार की बड़ी संख्या में सर्वाधिक उपेक्षित गौवंशों मसलन साँड़-बैलों का संरक्षण आज भी श्रीजगदंबा समिति में हो रहा है। इसके अलावा भारत की प्रख्यात गिर एवं थारपारकर नस्लों के गौवंशों का संवर्धन केन्द्र भी इन्होंने स्थापित किया।

 

शिक्षा के क्षेत्र में देखें तो संत भादरिया द्वारा राजस्थान के चौदह जिलों के पंचायत मुख्यालयों एवं विद्यालयों में लगभग चार हजार पुस्तकालयों की स्थापना करवाई गई। इसके अलावा राजस्थान के पोखरण में मौजूद एशिया के सबसे बड़े वाचनालय के निर्माण का प्रतिमान भी इन्होंने स्थापित किया, जो आज राष्ट्र की एक धरोहर है। इनके इन्हीं अद्वितीय कार्यों के लिए इन्हें मरणोपरांत वर्ष 2022 का स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार 13 सितम्बर को राठ में दिया जायेगा।

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