Parents Alert: बच्चों में बढ़ रहा Silent Heart Attack, इन लक्षणों को न करें नजर अंदाज़
Silent Heart Attack: बच्चों में साइलेंट हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह माता पिता के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा था। जानिए इसके कारण, लक्षण और इससे कैसे करें बच्चों की सुरक्षा। एक 12 साल के बच्चे की चौंकाने वाली मौत ने सबको हिला दिया है।
Silent Heart Attack बन रहा बच्चों का नया किलर
UP Desk | Virat News Nation
दिल की बीमारियाँ अब सिर्फ उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं रहीं। हाल ही में बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) के एक स्कूल में 12 वर्षीय बच्चे की साइलेंट हार्ट अटैक से मौत ने हर अभिभावक को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
क्या होता है Silent Heart Attack?
Silent Heart Attack, यानी ऐसा दिल का दौरा जिसमें सीने में दर्द, पसीना या घबराहट जैसे क्लासिक लक्षण नहीं दिखते। यह धीरे-धीरे दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है और अक्सर माता-पिता इसे मामूली कमजोरी या थकान समझकर अनदेखा कर देते हैं।
CDC और Mayo Clinic जैसे संस्थानों के अनुसार, Silent Heart Attack कई बार तब भी हो सकता है जब शरीर हाई रिस्क फैक्टर्स से जूझ रहा हो लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण न दिखे। साइलेंट हार्ट अटैक की मेडिकल जानकारी देखें
12 साल के छात्र की चौंकाने वाली मौत
बाराबंकी जिले के देवा क्षेत्र में, स्कूल के पहले दिन 7वीं में पढ़ने वाले अखिल सिंह की तबीयत अचानक स्कूल गेट पर बिगड़ गई। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि उसकी मौत Silent Heart Attack से हुई। यह घटना इस गंभीर स्थिति को लेकर पेरेंट्स को चेताने के लिए काफी है।
बच्चों में साइलेंट हार्ट अटैक के मुख्य कारण
1. अनहेल्दी डाइट और जंक फूड
फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, प्रोसेस्ड मीट और तली-भुनी चीजों के अत्यधिक सेवन से बच्चों की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है, जिससे धीरे-धीरे ब्लॉकेज बनती है।
2. फिजिकल एक्टिविटी की कमी
आज के बच्चे मोबाइल, टीवी और गेमिंग में इतने व्यस्त हैं कि शरीर को जरूरी फिजिकल मूवमेंट नहीं मिल पाता। American Heart Association के अनुसार, 5 से 17 वर्ष के बच्चों को कम से कम 60 मिनट की गतिविधि रोजाना करनी चाहिए।
3. जेनेटिक या जन्मजात हृदय दोष
कुछ बच्चों को कॉनजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Defect) होता है, जो साइलेंट स्ट्रेस बनाकर हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
4. मानसिक तनाव और पढ़ाई का दबाव
स्कूल का प्रेशर, सोशल मीडिया, और माता-पिता की उम्मीदें – ये सभी बच्चे को क्रॉनिक स्ट्रेस में डाल सकते हैं। इससे कार्टिसोल हार्मोन बढ़ता है और हृदय कमजोर होता है।
बच्चों में Silent Heart Attack के संकेत
अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें:
- बार-बार थकान या सांस फूलना
- सीने में हल्का दर्द या दबाव
- चक्कर आना या अचानक बेहोशी
- दिल की धड़कन तेज़ होना
- भूख की कमी, कमजोरी
- बिना मेहनत के पसीना आना
बच्चों को बचाने के लिए पेरेंट्स क्या करें?
1. हेल्दी डाइट का पालन कराएं
बच्चों को घर का खाना, मौसमी फल, हरी सब्जियां, नट्स और दूध दें। पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं।
2. एक्टिव लाइफस्टाइल
बच्चों को हर दिन 1 घंटा खेलकूद या एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करें – दौड़ना, साइक्लिंग, आउटडोर गेम्स।
3. स्क्रीन टाइम करें सीमित
मोबाइल और टीवी का समय 1–2 घंटे तक सीमित रखें। इसके ज्यादा इस्तेमाल से मोटापा और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
4. रेगुलर हेल्थ चेकअप
बच्चे की ECG, BP और ब्लड शुगर की समय-समय पर जांच कराएं, खासतौर पर अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास है।
American Academy of Pediatrics द्वारा बच्चों की डाइट गाइडलाइंस
निष्कर्ष:
बच्चों की सेहत की जिम्मेदारी पेरेंट्स पर है। Silent Heart Attack एक खामोश कातिल की तरह है, जो बिना लक्षणों के बच्चों की जान ले सकता है। समय रहते पहचाना गया यह खतरा रोका जा सकता है। इसलिए जागरूक रहें, लक्षणों को पहचानें और बच्चों को हेल्दी जीवन की ओर ले जाएं।
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