टूटते तारे से पूंछ कर तो देखो, टूटने से पहले कितना दर्द हुआ होगा
माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक।
प्यार इबादत, प्यार ही पूजा, प्यार मेरा गरूर है,
प्यार का दिया हुआ हर जख्म, दिल को मंजूर है।
लोग कहते हैं, में मौत से प्यार कर बैठा,
में कहता हूं, मुझे प्यार से मौत भी कबूल है।।
रात के घनघोर अंधेरे में, दूर आसमान में टूट कर गिरते तारे को देख कर आप ने भी कभी न कभी कोई मन्नत जरूर मांगी होगी। कहते हैं कि टूटते तारे से मन की मुराद मांगने पर जरूर पूरी होती है। टूटते तारे ने किसी के मन की मुराद पूरी की अथवा नहीं, यह तो नहीं कह सकते। किंतु क्या आप ने कभी उस तारे के टूटने से पहले की तकलीफ महसूस की है। टूटने से पहले वह तारा किस कदर तड़पा होगा। खुद को टूटने से बचाने के लिए कितना छटपटाया होगा, कितने जतन न किये होंगे उसने। आप ने कभी यह जानने की कोशिस की कि आखिर वह तारा किस के लिए टूटा ? टूटने के बाद उसका क्या हश्र हुआ होगा। आखिर क्या वजह रही कि आसमान में टिमटिमाने वाला तारा टूट कर गुमनामी में खोने को मजबूर हुआ ।
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इन टूटते तारों की तरह ही अनेक इंसान भी होते हैं। इंसान का दिल संवेदनशील होता है (कुछ अपवादों को छोड़ कर)। उसे सब से ज्यादा चोट तब लगती है जब वह भावनात्मक रूप से टूटता है। जब उसकी भावनाओं को कुचला जाता है तब इंसान बुरी तरह टूट जाता है। जो भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं वह जल्दी ही इस परिस्थिति से उबर जाते हैं। परंतु भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति इस तरह टूटता है कि फिर उसके इस स्थिति से बाहर आने के चांस न के बराबर होते हैं। वह तो टूट कर हर रोज बिखरता जाता है। एक बात टूटने के बाद ऐसे लोग वापस लौटना भी नही चाहते। क्योंकि उनकी भावनाएं इस कदर आहत होतीं हैं कि कोई उम्मीद नही रह जाती है। उनकी किस्मत में गुमनाम अंधेरों में खोना लिखा होता है। उन अंधेरों में, जहां से कोई वापस नहीं आता।
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आसमान के टूटते तारे व जमीन पर टूटते इंसान की स्थिति में बहुत बड़ा अंतर होता है। तारा जब टूटता है तो वह चमक छोड़ता है। वहीं इंसान टूटने से पहले ही बुझने लगता है, उसकी जिंदगी की चमक फीकी पड़ जाती है। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं कि अपने टूटने का एहसास भी किसी को नहीं होने देते। टूटते तारे को देख लोग हाथ जोड़ कर मुराद माँगते हैं, किसी को यह पता नहीं कि वह तारा मुराद पूरी कर भी पायेगा या नहीं। वहीं टूटते इंसान से लोग दूरियां बनाने लगते हैं। जब इंसान टूटने की कगार पर होता है तो उसके अपने भी साथ छोड़ जाते हैं। वह अपने जो उसके अच्छे दिनों में खास होने का दम्भ भरते हुए उसके आगे पीछे घूमते रहे होंगे। कोई भी ऐसे इंसान के साथ नहीं रहना चाहता, कोई उसे सहारा नहीं देना चाहता।
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किसी को तोड़ना और मिटाना तो आसान होता है। बस उसकी भावनाओं से खेल कर उसे ठोकर मारने की जरूरत है। अक्सर देखा जाता है कि यह ठोकर उसे वही व्यक्ति मारता है जिससे वह भावनात्मक रूप में सबसे करीब होता है। जिसे वह अपना मानता है, जिसके बिना जिंदगी के बारे में सोचना बंद कर देता है। भावनात्मक रूप से यही जुड़ाव उस इंसान के लिए घातक साबित होता है। अपनो के दिये जख्म, दर्द व उपेक्षा उस व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति छीन लेते हैं। टूटते हुए तारे को रोकना तो किसी के बस की बात नहीं है, पर क्या टूटते इंसान को बचाने का प्रयास नहीं किया जा सकता। चमकते तारे से मुराद मांगने की जगह यदि बुझे चेहरे के इंसान का साथ दिया जाए तो हो सकता है वह सम्भल जाए। एक इंसान अकेला नहीं टूटता। एक इंसान के टूटने से कई सपने टूटते हैं। टूटती है उन लोगों की दुनियां, जिनके लिए वह इंसान ही पूरी दुनियां है।
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तारों के टूटने की वजह जो भी हो पर इंसान के टूटने के पीछे किसी न किसी इंसान का ही हाथ होता है। यदि हम किसी की जिंदगी संवार नही सकते तो उसे तबाह करने का भी हक़ नहीं है। आप से भावनात्मक रूप से जुड़े इंसान को आप भले ही कितना भी तोड़ दें, वह फिर भी आप की सलामती ही मांगेगा। फिर क्यों हम इतने स्वार्थी बन जाते हैं। आखिर हम भी तो इंसान हैं, हमारे सीने में भी दिल होता है न ? फिर वह दिल किसी की दुनियां उजाड़ते वक्त क्यों नहीं कांपता है। कहते हैं की सभी को उस एक ईश्वर ने बनाया है। फिर ईश्वर द्वारा बनाये हुए इंसान को मिटाने का हक हमें किसने दिया है। इंसान को खिलौना समझने वालों को यह भी समझना चाहिए कि वह भी इंसान ही हैं। दुनियां में उन से भी तेज खिलाड़ी भरे पड़े हैं। यदि वह किसी के हाथों का खिलौना बन गए तब। उस वक्त आप को संभालने में सबसे आगे वही व्यक्ति मिलेगा जिसे आप तोड़ चुके हैं। सोच कर देखिए…
Bahut dard bhara hai aap mein
सुपर से भी ऊपर