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India’s First Female Railway Porter: संध्या मारवी की संघर्ष और सफलता की कहानी | Katni Railway Station

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Neha varma

 

नेहा वर्मा, संपादक ।

 

 

 

Inspiring Story of India’s First Female Porter, कटनी रेलवे स्टेशन की पहली महिला कुली: संध्या मारवी की संघर्ष भरी प्रेरणादायक कहानी

 

हर दिन हजारों लोग रेलवे स्टेशनों पर आते-जाते हैं, लेकिन Katni Railway Station Female Porter की मेहनत और हिम्मत की कहानी हर किसी का ध्यान खींच लेती है। सिर पर सामान, चेहरे पर आत्मविश्वास और आंखों में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना लिए, संध्या मारवी रोज़ इस भीड़ का हिस्सा बनती हैं। वे कटनी जंक्शन पर काम करने वाली India’s First Female Coolie हैं, जो अपने साहस, मेहनत और संघर्ष से न केवल अपने परिवार को संवार रही हैं, बल्कि समाज में एक नई मिसाल भी कायम कर रही हैं।

 

 

पति की मौत के बाद संघर्ष की शुरुआत

संध्या मारवी की जिंदगी हमेशा से आसान नहीं थी। उनके पति की असमय मृत्यु ने उन्हें और उनके परिवार को गहरे संकट में डाल दिया। तीन छोटे बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी अकेले कंधों पर आ गई। ऐसी स्थिति में जहां अधिकांश महिलाएं आर्थिक सहायता के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाती हैं, संध्या ने खुद अपने और अपने परिवार के लिए रास्ता बनाने का फैसला किया। उन्होंने पुरुष-प्रधान माने जाने वाले Indian Railway Porter Job को अपनाने की ठानी।

 

 

400 पुरुष कुलियों के बीच अकेली महिला

कटनी रेलवे स्टेशन पर जहां लगभग 400 पुरुष कुली काम करते हैं, वहीं संध्या मारवी एकमात्र महिला कुली हैं। यह पेशा न केवल शारीरिक रूप से कठिन है, बल्कि समाज की मानसिकता के कारण महिलाओं के लिए इसे अपनाना और भी चुनौतीपूर्ण बन जाता है। लेकिन संध्या ने इन रूढ़ियों को तोड़कर यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती।

 

 

हर रोज़ 45 किमी का सफर और अथक मेहनत

संध्या रोज़ कुंडम से कटनी तक लगभग 45 किमी का सफर तय करती हैं। सुबह से लेकर रात तक वे यात्रियों का सामान उठाकर अपने बच्चों के लिए रोज़ी-रोटी कमाती हैं। यह काम शारीरिक रूप से जितना कठिन है, उतना ही मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन संध्या ने इसे कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वे कंधे से कंधा मिलाकर पुरुषों के साथ काम करती हैं और अपनी मेहनत से अपनी पहचान बना रही हैं।

 

 

समाज की सोच और संध्या का आत्मविश्वास

जब संध्या ने कुली का काम शुरू किया था, तब समाज ने इसे एक महिला के लिए उपयुक्त नहीं माना। लोग ताने मारते, अजीब नज़रों से देखते और उनके काम करने की क्षमता पर सवाल उठाते। लेकिन संध्या के हौसले के आगे ये सारी बातें बेमानी साबित हुईं। उन्होंने समाज की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और आज वे अपने परिवार के लिए एक मजबूत सहारा बन चुकी हैं। Women Empowerment in India का यह उदाहरण दर्शाता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।

 

 

महिला सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल

संध्या मारवी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो किसी न किसी कारण से अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। वे दिखाती हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, बस उसे करने का जज़्बा होना चाहिए। उनके संघर्ष की कहानी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपने हक के लिए लड़ने की सीख देती है। First Female Porter in Indian Railways के रूप में वे इतिहास रच चुकी हैं।

 

 

सरकार और समाज से उम्मीदें

संध्या की यह मेहनत और संघर्ष बताता है कि अगर सरकार और समाज का थोड़ा सा सहयोग मिले, तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। Women in Indian Railways के लिए रेलवे प्रशासन या सरकार यदि विशेष योजनाएं लाए, तो यह महिलाओं को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

 

 

निष्कर्ष

संध्या मारवी की कहानी सिर्फ एक कुली की नहीं, बल्कि एक मां, एक योद्धा और एक सशक्त महिला की कहानी है, जिसने अपने परिवार को संभालने के लिए हर चुनौती को स्वीकार किया। कटनी रेलवे स्टेशन पर उनकी मेहनत और लगन देखने लायक है। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल इंसान को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।

उनकी यह जिंदादिली और संघर्ष न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सीख है कि मेहनत और आत्मनिर्भरता से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। Inspiring Story of Female Coolie संध्या मारवी सच में एक मिसाल हैं!

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