Girl Suicide: सिर्फ एक एडमिशन, और टूट गया एक सपना: जब स्नेहा ने फंदा लगाकर हमेशा के लिए अलविदा कह दिया
Girl Suicide: बीए में एडमिशन न मिलने पर 17 वर्षीय स्नेहा ने कर ली आत्महत्या। पढ़ाई को लेकर थे बड़े सपने, लेकिन आर्थिक तंगी ने छीन लिया जीवन। पढ़ें यह दिल दहला देने वाली सच्ची कहानी।
सिर्फ एक एडमिशन… और टूट गया एक सपना
Hamirpur News: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के मौदहा कोतवाली क्षेत्र के किशनपुर रमना गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। 17 वर्षीय स्नेहा ने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वजह थी—बीए में दाखिला न मिल पाना।
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Girl Suicide: सपनों में रंग भरने वाली स्नेहा की अधूरी कहानी
स्नेहा ने इस साल इंटरमीडिएट की परीक्षा अपने नाना के घर रहकर सुमेरपुर क्षेत्र के पचखुरा गांव से पास की थी। वह पढ़ाई में होनहार थी और आगे चलकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। उसका सपना था कि मकरांव गांव के डिग्री कॉलेज में बीए में दाखिला लेकर अपने भविष्य को संवार सके।
लेकिन जब उसने एडमिशन की बात की, तो मां ने उसे कुछ दिन रुकने को कहा। वजह थी—घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसके पिता रघुवीर कस्बे में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और मां रश्मि खेतों में काम कर किसी तरह घर चलाती हैं।
Girl Suicide: सुनसान घर, टूटे सपने और एक डरावना फैसला
मंगलवार की देर शाम जब मां बकरी चरा रही थीं और पिता घर पर नहीं थे, तब स्नेहा ने खुद को फांसी के फंदे पर लटका लिया। मां रश्मि के लौटने पर यह मंजर देखकर पूरे गांव में मातम छा गया।
रश्मि ने बताया कि बेटी को यह डर सता रहा था कि कहीं अब उसे पढ़ाया नहीं जाएगा। इसी डर और निराशा में उसने यह कदम उठा लिया।
Girl Suicide: परिजनों ने पुलिस को नहीं दी सूचना
इस घटना को लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि परिजनों ने अभी तक पुलिस को कोई सूचना नहीं दी है। हो सकता है कि वे बदनामी या सामाजिक दवाब के कारण खामोश हों। लेकिन यह चुप्पी एक और अन्याय को जन्म देती है।
बेटियों की शिक्षा से समझौता, समाज के लिए एक प्रश्न
स्नेहा की आत्महत्या न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह हमारे समाज के उस कड़वे सच को भी उजागर करती है, जिसमें आर्थिक तंगी के कारण बेटियों की पढ़ाई को बलि चढ़ा दिया जाता है।
हम सभी को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है—क्या एक बेटी का सपना सिर्फ पैसे के अभाव में मर जाना चाहिए?
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल भारत में हजारों किशोर-युवाओं की आत्महत्याएं पढ़ाई, करियर और मानसिक तनाव जैसे कारणों से होती हैं।
समाधान क्या है?
- सरकारी सहायता: ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा योजनाओं की जानकारी और पहुंच बढ़ाई जाए।
- स्कॉलरशिप: राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के जरिए हर छात्र को जानकारी दी जानी चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य सहायता: स्कूल और गांवों में मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
एक सवाल हम सभी से:
क्या स्नेहा की आत्महत्या से हम कुछ सीखेंगे, या फिर अगली स्नेहा की बारी का इंतजार करेंगे?
अगर आप या आपका कोई जानने वाला मानसिक तनाव से जूझ रहा है, तो कृपया हेल्पलाइन पर संपर्क करें:
आईसीएएल मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन – 9152987821
लेखक: नेहा वर्मा, संपादक, विराट न्यूज नेशन ।
Source: ग्राउंड रिपोर्ट | ग्रामीण संवाददाता
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