संपादकीय

Happy New Year 2026: साल बदल रहा है, लेकिन हालात नहीं — अधूरे वादों में उलझा राठ

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Happy New Year 2026 आते ही राठ में अधूरी विकास योजनाओं पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। पेयजल, रोडवेज, कॉलेज और रेलवे लाइन जैसी योजनाएँ अभी भी कागज़ों में अटकी हैं। पढ़िए पूरा ग्राउंड रिपोर्ट।

 

 

 

 

 

माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक, विराट न्यूज नेशन।

 

 

 

Hamirpur: वर्ष 2025 विदाई पर है और नए साल 2026 के स्वागत की तैयारियाँ जारी हैं। लेकिन जब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो राठ की अधूरी विकास योजनाएँ मन में सवाल खड़े कर देती हैं। बड़े-बड़े वादे आज भी कागज़ों में सिमटे पड़े हैं — और जनता को ज़मीनी हकीकत का इंतज़ार अब भी जारी है।

मौदहा बांध से पेयजल परियोजना, रोडवेज डिपो का आधुनिकीकरण, राजकीय महाविद्यालय का निर्माण — सब कुछ आधा-अधूरा ही रह गया।

 

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चार साल बाद भी अधूरा राजकीय महाविद्यालय

8.47 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला राजकीय महाविद्यालय शिलान्यास के चार साल बाद भी अधूरा पड़ा है।

1 अक्टूबर 2020 को शिलान्यास किया गया था, लेकिन 2021 की डेडलाइन बीत जाने के बाद भी:

  • भवन अधूरा
  • झाड़ियाँ उगी हुई
  • बाउंड्रीवाल भी अधूरी

विधायक मनीषा अनुरागी के अनुसार, हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के कारण निर्माण रुका है और अनुमति मिलते ही काम पूरा कराया जाएगा।

(उच्च शिक्षा संबंधी नीतियाँ यहाँ देखें: https://www.ugc.ac.in)

 

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अधूरी परियोजना से शुद्ध पेयजल का सपना टूटा

नया साल 2026 आने वाला है, लेकिन शहर अभी भी 1956 की जर्जर पेयजल योजना पर निर्भर है। 2013 में मौदहा बांध पेयजल योजना का सपना दिखाया गया था।

परियोजना में शामिल था:

  • इंटकवेल
  • वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
  • 3 ओवरहेड टैंक
  • 121 किमी पाइपलाइन

94 करोड़ 34 लाख रुपये स्वीकृत हुए — और 20 करोड़ जारी भी हो गए। फिर भी केवल 20% काम ही पूरा हो पाया।

(पेयजल परियोजनाओं पर सरकारी जानकारी: https://jalshakti-dowr.gov.in)

 

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रोडवेज डिपो: आज भी बदहाल सुविधाएँ

राठ रोडवेज डिपो, जो जनपद में सबसे ज्यादा आमदनी देता है, बदहाली से जूझ रहा है:

  • परिसर में जलभराव और कीचड़
  • पेयजल और शौचालय की सुविधाएँ लगभग ध्वस्त
  • यात्रियों को भारी दिक्कत

2018 में इसे टर्मिनल डिपो की सूची में शामिल किया गया था, लेकिन अब तक सिर्फ़ वर्कशॉप का काम हो पाया।

(परिवहन से जुड़ी नीतियाँ देखें: https://uptransport.upsdc.gov.in)

 

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कागजों पर चली रेल, विश्वविद्यालय का अधूरा सपना

करीब चार दशक से राठ को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग जारी है। 2017 में रेलवे लाइन शुरू कराने का वादा हुआ — लेकिन आज भी कागज़ों से आगे नहीं बढ़ पाया।

इसी तरह, ब्रह्मानंद महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्जा देने का वादा भी अधूरा रह गया।

जिला बनाने की मांग भी साल-दर-साल दोहराई जाती रही — पर फैसले अब भी लंबित हैं।

(रेल विकास से जुड़ी जानकारी: https://indianrailways.gov.in)

 

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Happy New Year 2026 — उम्मीदें बाकी हैं!

साल बदल रहा है — Happy New Year 2026 नई उम्मीदें लेकर आ रहा है।
लेकिन राठ की जनता चाहती है कि:

  • अधूरे प्रोजेक्ट पूरे हों
  • पेयजल की समस्या खत्म हो
  • रोडवेज और शिक्षा सुविधाएँ सुधरें
  • वादे सिर्फ़ भाषणों में नहीं, जमीन पर दिखें

नए साल पर यही उम्मीद — “वादा नहीं, काम दिखे।”

 

यदि ये परियोजनाएँ पूरी हो जाएँ, तो राठ का चेहरा-मोहरा बदल सकता है। लेकिन सवाल वही है — क्या Happy New Year 2026 विकास की नई शुरुआत बनेगा, या फिर साल बदल जाएगा और हालात वही रहेंगे?

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