UP : फरवरी से ही पड़ी भीषण गर्मी: 1952 के बाद पहली बार पारा 30 डिग्री के पार
न्यूज डेस्क, विराट न्यूज नेशन ।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस बार मौसम ने अपने रंग कुछ अलग ही दिखाए हैं। फरवरी का महीना, जो आमतौर पर ठंड के धीरे-धीरे विदा लेने का समय माना जाता है, इस बार भीषण गर्मी के साथ दस्तक दे रहा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में पारा फरवरी के पहले सप्ताह में ही 30 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है, जो पिछले 72 वर्षों में पहली बार हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह 1952 के बाद की सबसे गर्म फरवरी मानी जा रही है।
मौसम में अचानक आए इस बदलाव के कारण
मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस असामान्य तापमान वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है। इसके अलावा, पश्चिमी विक्षोभ की कमी, सर्द हवाओं के प्रवाह में कमी, और स्थानीय प्रदूषण स्तर में वृद्धि भी इस बदलाव के पीछे अहम भूमिका निभा रही है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, जनवरी के अंतिम सप्ताह में ठंडक का असर कम होते-होते फरवरी की शुरुआत में तापमान में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई। आमतौर पर फरवरी के महीने में उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 22-25 डिग्री के बीच रहता है, लेकिन इस बार यह 30 डिग्री के पार चला गया है।
किसानों पर मौसम के बदलाव का असर
इस असामान्य गर्मी का सबसे बड़ा प्रभाव कृषि पर पड़ने की संभावना है। इस समय रबी फसलों के लिए यह मौसम बेहद महत्वपूर्ण होता है। खासकर गेहूं और चने की फसल को बढ़ने के लिए संतुलित तापमान और नमी की आवश्यकता होती है। लेकिन समय से पहले गर्मी बढ़ने के कारण फसलें जल्दी पक सकती हैं, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।
कई किसान संगठनों ने चिंता जताई है कि यदि यह गर्मी इसी तरह बढ़ती रही, तो फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर पड़ेगा। राज्य सरकार ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी फसलों की सिंचाई पर ध्यान दें और मौसम विभाग की भविष्यवाणियों के अनुसार खेती से जुड़ी योजनाएं बनाएं।
हमारे स्वास्थ्य पर मौसम का प्रभाव
इस बढ़ती गर्मी का असर केवल पर्यावरण और कृषि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर दिखने लगा है। लू लगने और डीहाइड्रेशन जैसी समस्याएं फरवरी में ही सामने आने लगी हैं, जो आमतौर पर अप्रैल-मई में देखी जाती थीं।
डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि वे ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, धूप में बाहर निकलने से बचें और हल्के कपड़े पहनें। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह मौसम और भी खतरनाक हो सकता है, इसलिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
भविष्य में क्या है उम्मीद?
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले हफ्तों में तापमान में और वृद्धि हो सकती है। फरवरी के अंत तक गर्मी और भी बढ़ने की संभावना है। हालांकि, कुछ पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से हल्की बारिश हो सकती है, जिससे अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक राहत की कोई उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आ रही है।
जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव केवल एक बार की घटना नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसे मौसमीय बदलाव सामान्य हो सकते हैं। अगर ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के स्तर पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले वर्षों में सर्दी के मौसम में इस तरह की गर्मी आम हो सकती है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
राज्य सरकार ने इस असामान्य मौसम को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और कृषि विभाग को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। किसानों के लिए विशेष हेल्पलाइन और मौसम अपडेट सेवा शुरू की गई है ताकि वे समय रहते अपने फसलों के लिए आवश्यक कदम उठा सकें।
इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने भी सभी जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट पर रखा है। लोगों को लू और गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में फरवरी के महीने में इतनी भीषण गर्मी का अनुभव करना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह एक गंभीर जलवायु संकट की ओर भी इशारा करता है। 1952 के बाद यह पहला मौका है जब पारा फरवरी के पहले सप्ताह में ही 30 डिग्री के पार पहुंच गया है। यह घटना हमें पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता का एहसास कराती है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में ऐसे असामान्य मौसम हमारे जीवन का हिस्सा बन सकते हैं।
इस बदलते मौसम के बीच, सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाना अब और भी जरूरी हो गया है।