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किसान आंदोलन के नाम पर भारतीय लोकतंत्र को बर्बाद करने की साजिश का खुलासा

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नेहा वर्मा, संपादक ।

 

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान संगठन समूचे देश में आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर भारी संख्या में किसान बीते 70 दिन से धरने पर डटे हुए हैं। किसान आंदोलन का फायदा उठाकर भारत विरोधी विदेशी ताकतें देश के लोकतंत्र को बर्बाद करने में जुट गईं हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से इस आंदोलन हवा दी जा रही है। पुलिस द्वारा करीब तीन सौ सोशल मीडिया एकाउंट की जांच पड़ताल के बाद इस अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है।

 

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किसानों के आंदोलन को ढाल बनाकर स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने बेहद शातिर तरीके से भारत के खिलाफ साजिश रची है। बस गलती यह कर दी कि अपनी योजना को उन्होंने ट्वीटर पर साझा कर दिया। गलती का एहसास होने पर उन्होंने उसे डिलीट भी किया पर तब तक उनकी साजिश का सच सबके सामने आ चुका था। उक्त दस्तावेज को पढ़ने के बाद स्पष्ट हुआ कि ग्रेटा किसी बड़े भारत विरोधी प्रोपेगेंडा मुहिम का हिस्सा हैं। इस ट्वीट से यह भी स्पष्ट हुआ कि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा में विेदेशी ताकतों का हाथ था। किसानों को मोहरा बनाकर विदेशी ताकतों ने अपनी भारत विरोधी गतिविधियां तेज कर दीं हैं।

 

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किसान आंदोलन को लेकर किए जाने वाले भड़काऊ ट्वीट पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यह मुकदमे धारा 153ए व 120 बी के तहत दर्ज किए गए हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि एफआईआर में किसी का नाम नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने कहा है कि दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया की माॅनिटरिंग कर रही है। अभी तक करीब 300 सोशल मीडिया हैंडल पाए गए हैं। जिनका घृणित व निंदनीय कंटेंट फैलाने में उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इनका इस्तेमाल कुछ वेस्टर्न इंटरेस्ट आॅर्गनाइजेशनों द्वारा किया जा रहा है। जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है।

 

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दिल्ली पुलिस की सख्ती के बीच ग्रेटा थनबर्ग का नया ट्वीट आया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि अभी भी किसानों और उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ खड़ी हूं। नफरत, धमकी या मानवाधिकारों का उल्लंघन भी इसे बदल नहीं सकता। अपने ट्वीट में ग्रेटा थनबर्ग ने भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को फासीवादी पार्टी करार दिया है। ग्रेटा ने भारत सरकार पर किस प्रकार दबाव बनाया जा सकता है इसके बारे में बताया। साथ ही अपनी कार्य योजना से संबंधित एक दस्तावेज भी साझा किया है। फिलहाल किसान आंदोलन के बहाने विदेशी साजिश की बू आते ही खुफिया एजेंसियां भी चैकन्नीं हो गईं हैं।

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