गोवध व गोमांस खाने का किसी भी धर्म में नहीं मिलता प्रमाण- आचार्य गोपेश
नेहा वर्मा, संपादक ।
हमीरपुर जनपद के राठ नगर में जलविहार मेला चल रहा है। जिसमें श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य गोपेश जी महाराज श्रीमद भागवत कथा सुना रहे हैं। शनिवार को भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का बखान किया। साथ ही गाय के महत्व को बताते हुए राठ नगर में वृहद गोशाला बनाए जाने की आवश्यकता बताई।
आचार्य गोपेश जी महाराज ने कहा परमात्मा का बालरूप में आना ह्रदय का विषय है। बालरूप कृष्ण की लीलाएं मनमोहक व ज्ञानमयी हैं। अविद्या व वासना रूपी पूतना का उद्धार किया। माखन चुराकर सत्वगुण की वृद्धि की। कहा आज की पीड़ी गोमाता के दूध को छोड़ टॉफी, चॉकलेट व सॉफ्ट ड्रिंक के पीछे पागल है। भगवान ने गोमाता की स्वयं सेवा की। इसी लिए पशु नहीं मां कहा गया है। उन्होंने कहा एक गाय के जीवन की कीमत का कोई आंकलन नहीं कर सकता।
आचार्य गोपेश जी ने कहा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गौमूत्र की कीमत 5 सौ रुपये लीटर है। गोबर से बनी मीथेन गैस से कारें चल सकतीं हैं। किसी भी धर्म में गौमाता के काटने व उनके मांस खाने का कोई प्रमाण नहीं है। कहा चीर हरण लीला के वक्त भगवान मात्र 6 साल के थे। कथा पंडाल में गोवर्धन लीला की झांकी सजाई गई। आयोजक श्री मेला जलविहार समिति के अध्यक्ष केजी अग्रवाल सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजद रहे।