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TET exam trauma case : राठ में शिक्षक ने फंदा लगाकर की आत्महत्या

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TET exam trauma case: हमीरपुर जिले के राठ में टीईटी परीक्षा के तनाव में आकर शिक्षक ने आत्महत्या कर ली। जानें पूरा मामला और क्यों बढ़ रहा है “TET exam trauma case”।

नेहा वर्मा, संपादक, विराट न्यूज नेशन।

हमीरपुर के राठ से बड़ी खबर

हमीरपुर जिले के राठ कस्बे में टीईटी परीक्षा का ट्रोमा (TET exam trauma case) एक शिक्षक की जान ले गया। राठ ब्लॉक के गोहानी गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक गनेशीलाल अनुरागी (52) ने आत्महत्या कर ली। उनका शव अतरौलिया मोहल्ले स्थित अपने दूसरे मकान में फंदे पर लटका मिला।

कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम?

शनिवार देर शाम जब उनका बेटा पीयूष मकान पर पहुंचा, तो अंदर का नजारा देखकर वह दंग रह गया। पिता का शव लाइट की डोरी से फंदे पर झूल रहा था। घर उस वक्त पूरी तरह सूना था।

परिवार के मुताबिक, गनेशीलाल लंबे समय से मानसिक तनाव में थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, केवल TET पास शिक्षक ही अपनी नौकरी पर बने रह सकते हैं। इसी डर और नौकरी जाने की चिंता ने उन्हें तोड़ दिया।

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परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

शिक्षक की पत्नी ऊषा, बेटियाँ ज्योति और अंशिका तथा बेटा पीयूष का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार वालों ने बताया कि पिता हमेशा पढ़ाई और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। लेकिन सरकारी नौकरी खोने का डर उनके लिए असहनीय साबित हुआ।

क्यों बन रहा है TET परीक्षा का दबाव घातक?

टीईटी (Teacher Eligibility Test) शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि नौकरी बनाए रखने के लिए इसे पास करना जरूरी है। कई शिक्षकों को बार-बार परीक्षा पास करने का तनाव झेलना पड़ रहा है।

  • लगातार असफलता मानसिक तनाव को जन्म देती है।
  • नौकरी असुरक्षा (Job insecurity) बढ़ रही है।
  • पारिवारिक जिम्मेदारियों का दबाव और बढ़ जाता है।
  • कई मामलों में यह तनाव आत्महत्या जैसी घटनाओं का कारण बन रहा है।

जानें सुप्रीम कोर्ट का TET से जुड़ा फैसला यहाँ

शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षकों पर इस तरह का परीक्षा का बोझ डाला जाना सही है? पहले से तैनात शिक्षकों को एक और परीक्षा पास करने की अनिवार्यता उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाल रही है।

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क्या है समाधान?

  • पहले से सेवा कर रहे शिक्षकों को अतिरिक्त ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट का विकल्प दिया जाए।
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था हो।
  • नौकरी सुरक्षा को लेकर स्पष्ट नीति बने।
  • शिक्षकों को तनावमुक्त वातावरण देने पर सरकार ध्यान दे।

निष्कर्ष

हमीरपुर का यह “TET exam trauma case” सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल है। अगर समय रहते सरकार और प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए तो ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं।

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