टूटते तारे से पूंछ कर तो देखो, टूटने से पहले कितना दर्द हुआ होगा
माधव द्विवेदी, प्रधान संपादक। प्यार इबादत, प्यार ही पूजा, प्यार मेरा गरूर है, प्यार का दिया हुआ हर जख्म,
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