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दुनियां का इकलौता शुद्ध शाकाहारी मगरमच्छ, करता है श्री कृष्ण की पहरेदारी

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विराट न्यूज डेस्क।

 

पानी मे रहने वाला खतरनाक जीव मगरमच्छ, जिसके आसपास होने के आभास मात्र से रूह कांप जाती है। ऐसा जीव जो इंसानी जिश्म को बिना चबाए आराम से निगल जाता है। क्या आप सोच सकते हैं ऐसा जीव भी शाकाहारी हो सकता है। लेकिन आज हम जिस मगरमच्छ के बारे में बात करने वाले हैं वह दुनिया का इकलौता शुद्ध शाकाहारी मगरमच्छ है।

 

 

 

 

आप को इस बात पर विश्वास नहीं होगा पर यह सच्चाई है। यह मगरमच्छ केरल के कासरगोड जिले में स्थित भगवान विष्णु के अवतार श्री अनंत पदमनाभ स्वामी मंदिर के किनारे बनी झील में रहता है. इस शुद्ध शाकाहारी मगरमच्छ का नाम है “बबिया”. बबिया का भोजन है मंदिर का प्रसाद. इसके अलावा वह कुछ नहीं खाता. बबिया मगरमच्छ खाने में केवल मंदिर का बना प्रसाद ही खाता है,इसके अलावा कुछ नहीं खाता। झील में रहने वालीं मछलियों आराम से उसके पास रहतीं हैं।

 

 

तिरुवंतपुरम में श्री अनंत पदमनाभ स्वामी का एक बहुत विशाल एवं भव्य मंदिर है. लेकिन स्थानीय लोगों के हिसाब से अनंतपुर में स्थित मंदिर ही श्री अनंत पदमनाभ स्वामी का मूल स्थान है. अनंतपुर में यह मंदिर करीब 2 एकड़ जितनी जगह में फैला हुआ है इस मंदिर के पास में एक झील भी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु अनंत पद्मनाभ स्वामी इसी झील के अंदर स्थित एक गुफा से होकर तिरुवंतपुरम गए थे इसी वजह से दोनों जगहों का नाम एक जैसा ही है.

 

 

 

 

मंदिर के पुजारियों के अनुसार करीब 3000 वर्ष पहले दिवाकर मुनि विल्व मंगलम स्वामी अनंतपुर के इसी मंदिर मे रहा करते थे एवं विष्णु भगवान की पूजा किया करते थे. उनकी पूजा से प्रसन्न होकर एक दिन विष्णु भगवान स्वयं एक छोटे बालक के रूप में उनके सामने प्रकट हुए एवं उनके साथ इसी आश्रम में रहने लगे. धीरे धीरे यह बालक विल्व मंगलम स्वामी के साथ घुल मिल गया एवं वह आश्रम की कार्यों में भी मुनि का हाथ बटाने लगा.

 

 

 

समय बीतता गया और एक दिन जब विल्व मंगलम स्वामी अपने दैनिक पूजा का कार्य कर रहे थे उस समय वह बालक उनके कार्य में विघ्न उत्पन्न कर रहा था. इस बात से परेशान होकर उन्होंने उस बालक को डाँटा और उसे पीछे की ओर धकेल दिया. मुनि के इस व्यवहार से आहत होकर वह बालक यह कहते हुए पास स्थित झील मे अदृश्य हो गया कि जब भी विल्व मंगलम स्वामी उनसे मिलना चाहे वे अनंतकट, के जंगलों में उसे पाएंगे.

 

 

 

जब तक मुनि को अपनी भूल का एहसास हुआ कि जिस नन्हे बालक को उन्होंने डांटा है वह स्वयं भगवान विष्णु का रूप है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वह बालक झील मे बनी गुफा मे अद्रश्य चुका था. विल्व मंगलम स्वामी स्वयं से हुई भूल का पश्चाताप करने के लिए एवं बालक से माफी मांगने के लिए उसी गुफा में प्रवेश करते हैं और वे गुफा के दूसरी और समुद्र के पास में निकलते हैं. वहां पर वह देखते हैं कि समुद्र में स्वयं भगवान विष्णु विराजमान है उनके चारों और विशाल नाग लिपटे हुए हैं.

 

 

 

स्थानीय पुजारियों के अनुसार बबिया मगरमच्छ उसी गुफा में रहता है जहां पर भगवान श्री विष्णु के बाल अवतार श्री कृष्ण अदृश्य हुए थे. उनके अनुसार बबिया मगरमच्छ श्रीकृष्ण के द्वार की पहरेदारी करता है. बबिया के बारे में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह शुद्ध शाकाहारी मगरमच्छ है. मंदिर के पुजारियों द्वारा इसे दिन में दो बार चावल का प्रसाद भोजन के रूप में दिया जाता है. वह बिना किसी पर आक्रमण किए प्रसाद का भोजन करता है एवं अपनी गुफा में चला जाता है.

 

 

स्थानीय लोगों की मानें तो करीब 75 साल पहले एक ब्रिटिश सैनिक ने बबिया से पहले इस गुफा की सुरक्षा कर रहे मगरमच्छ को मार दिया था. इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उसे सैनिक की रहस्यमयी तरीके से सांप के काटने के कारण मृत्यु हो गई. स्थानीय लोगों का मानना है कि सर्प देवता ने उसे उसके अपराध की सजा दी है. पहले वाले मगरमच्छ की मृत्यु हो जाने के बाद बबिया मगरमच्छ उसकी जगह पर उस गुफा की पहरेदारी करने के लिए उपस्थित हो गया.

 

 

 

ऐसा हर बार होता है जब भी गुफा की सुरक्षा में लगा हुआ मगरमच्छ मृत्यु को प्राप्त होता है, उसकी जगह पर दूसरा मगरमच्छ अपने आप ही उसका स्थान ले लेता है यह कहां से आते हैं कोई नहीं जानता. यहां पर ऐसी मान्यता है कि अगर आप इस झील में बबिया मगरमच्छ को तैरता हुआ देख लेते हैं तो आपकी किस्मत बदल सकती है. बबिया का दिखना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.

 

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