राठ में प्रसव के बाद महिला की मौत, अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप
Prasav ke baad maut: राठ के सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की हालत बिगड़ने से मौत हो गई। परिजनों ने सीएचसी स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया, जबकि डॉक्टरों ने मेडिकल कारण बताए।
नेहा वर्मा, संपादक, विराट न्यूज नेशन।
राठ में प्रसव के बाद बिगड़ी महिला की हालत
हमीरपुर जनपद के राठ सरकारी अस्पताल (सीएचसी) में प्रसव के बाद एक महिला की हालत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई। परिजनों ने स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस मामले पर सफाई भी दी गई है।
परिजनों का आरोप: स्टाफ की लापरवाही से बिगड़ी हालत
बारहखंभा मोहल्ला निवासी नंदकिशोर गुप्ता ने बताया कि उनकी पत्नी विमलेश गुप्ता (25) को सोमवार सुबह 11 बजे प्रसव पीड़ा होने पर सीएचसी राठ में भर्ती कराया गया था।
- शाम 7 बजे नार्मल डिलीवरी के जरिए एक बेटी का जन्म हुआ।
- कुछ ही देर बाद महिला की हालत अचानक बिगड़ गई और उसे अत्यधिक ब्लीडिंग होने लगी।
- डॉक्टरों ने तत्काल उसे मेडिकल कॉलेज उरई रेफर कर दिया।
- वहां इलाज के दौरान विमलेश की मौत हो गई।
नंदकिशोर का कहना है कि सीएचसी स्टाफ ने प्रसव (Prasav ke baad maut) के दौरान लापरवाही की, जिसके कारण पत्नी की जान गई।
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डॉक्टर की सफाई: पेट में गंदगी कर गया था बच्चा
मामले पर मैटरनिटी विंग प्रभारी डॉ. नेहा यादव ने मीडिया को बताया कि बच्चे ने पेट में गंदगी कर दी थी, जिसके चलते महिला की हालत बिगड़ी।
उन्होंने कहा कि परिजनों को स्थिति की जानकारी पहले ही दे दी गई थी और उनकी सहमति से प्रसव कराया गया था।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
विमलेश का यह दूसरा प्रसव था। परिवार में पहले से ढाई साल का बेटा वेदांश है। पति नंदकिशोर मोबाइल की दुकान चलाते हैं। अचानक हुई इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है।
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प्रसव के दौरान लापरवाही के मामले अक्सर सुर्खियों में
यह पहली बार नहीं है जब प्रसव में लापरवाही का आरोप किसी सरकारी अस्पताल पर लगा हो। देशभर में समय-समय पर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर इलाज और ब्लीडिंग कंट्रोल होने से कई जानें बचाई जा सकती हैं।
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प्रसव और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े सवाल
1. प्रसव के दौरान सबसे ज्यादा खतरा किससे होता है?
प्रसव के दौरान सबसे बड़ा खतरा अत्यधिक ब्लीडिंग, इन्फेक्शन और हाई ब्लड प्रेशर से होता है। अगर समय पर इलाज न मिले तो मां और बच्चे दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है।
2. किन लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?
- प्रसव के बाद लगातार ब्लीडिंग होना
- तेज बुखार या संक्रमण के लक्षण
- सांस लेने में कठिनाई
- पेट में अत्यधिक दर्द
इन लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
3. प्रसव के समय लापरवाही रोकने के लिए क्या करना जरूरी है?
- गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच करवाना
- ब्लड प्रेशर और हीमोग्लोबिन लेवल पर ध्यान देना
- अनुभवी डॉक्टर और प्रशिक्षित स्टाफ की निगरानी में डिलीवरी कराना
- किसी भी जटिलता की स्थिति में रेफर अस्पताल तक तुरंत पहुंचना
4. सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा कैसे बढ़ाई जा सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ब्लड बैंक और ICU सुविधाएं बेहतर करनी होंगी। साथ ही स्टाफ की ट्रेनिंग और जवाबदेही भी ज़रूरी है।
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यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। परिजनों का आरोप है कि लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली, जबकि डॉक्टर इसे मेडिकल जटिलता बता रहे हैं। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।
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