Fake Marriage Exposed: पत्नी की शादी का कार्ड देख अधिवक्ता रह गया सन्न, शादी रोकने की गुहार
Fake marriage exposed: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा! अधिवक्ता की पत्नी की दूसरी शादी का कार्ड देख मचा हड़कंप, दो लाख की डिमांड और धमकियों से परेशान पति ने लगाई न्याय की गुहार।
पत्नी की शादी का कार्ड देख अधिवक्ता रह गया सन्न!
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में हुई थी शादी, अब ससुराल वाले करवा रहे दूसरी शादी
राठ (हमीरपुर) मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। हमीरपुर जिले के मझगवां निवासी अधिवक्ता अवधनरेश श्रीवास की शादी योजना के तहत तो हुई थी, लेकिन कुछ ही महीनों में ऐसा सच सामने आया जिसने सबको चौंका दिया। अधिवक्ता ने जब अपनी पत्नी का दूसरी शादी का कार्ड देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
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Fake marriage exposed: शादी हुई… पर दुल्हन विदा नहीं हुई!
23 जनवरी को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन में अवधनरेश का विवाह पास के गांव की एक युवती से कराया गया था। विवाह के बाद उम्मीद थी कि नवविवाहिता अपने पति के साथ ससुराल आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पत्नी के परिवार वालों ने यह कहकर विदाई टाल दी कि वे बाद में धूमधाम से शादी कर विदा करेंगे। अधिवक्ता और उनके परिजन तैयारी में लग गए।
19 मई को आया वो कार्ड जिसने खोल दी पोल
सभी तैयारियों के बीच जब 19 मई को अधिवक्ता के हाथ एक विवाह निमंत्रण पत्र लगा, तो उसमें वधु के नाम पर उसी युवती का नाम देखकर वह अवाक रह गए, जिससे उन्होंने शादी की थी।
जब उन्होंने ससुर से संपर्क किया तो उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा कर दिया। ससुर ने कहा कि
“मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का अनुदान पाने के लिए ही फर्जी शादी करवाई गई थी।”
इतना ही नहीं, ससुर ने कहा कि अगर वाकई में बेटी से शादी करनी है तो दो लाख रुपये देने होंगे।
Fake marriage exposed: धमकी और धोखा दोनों मिले
जब अवधनरेश ने इसका विरोध किया तो ससुराल वालों ने झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। ऐसे में परेशान अधिवक्ता ने CO कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने मांग की है कि:
- उनकी पत्नी को वापस लाया जाए
- मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत मिले अनुदान की वसूली की जाए
- इस फर्जीवाड़े में शामिल राजस्व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए
क्या है मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना?
यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों की शादी में मदद के लिए चलाई जाती है। योजना के तहत:
- ₹51,000 की राशि सरकार देती है
- जिसमें ₹35,000 नवविवाहित जोड़े को और ₹10,000 शादी के सामान व आयोजन के लिए मिलते हैं
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की आधिकारिक वेबसाइट देखें
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Fake marriage exposed से जुड़ीं मुख्य चिंताएं
- क्या वाकई में ऐसी योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच रही हैं या धोखेबाजों की जेब भर रही हैं?
- क्या बिना विदाई और सहमति के शादी को कानूनी रूप से मान्य माना जा सकता है?
- क्या इस तरह के मामलों में दोषियों पर कार्रवाई होती है या फाइलों में ही दब जाती हैं शिकायतें?
Fake marriage exposed: क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार:
फर्जी शादी करना धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की श्रेणी में आता है
विवाह का उद्देश्य केवल सरकारी अनुदान प्राप्त करना है तो यह कानून का उल्लंघन है
ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को कोर्ट में याचिका दाखिल कर विवाह को निरस्त कराने और आर्थिक हर्जाने की मांग करने का अधिकार होता है
मुख्यमंत्री योजना के नाम पर गरीबों की मदद होनी चाहिए, लेकिन जब इसका इस्तेमाल किसी को धोखा देने और पैसे कमाने के लिए किया जाए तो यह समाज के लिए शर्मनाक है। अधिवक्ता अवधनरेश श्रीवास का मामला ऐसे ही भ्रष्ट तंत्र और सोच पर करारा तमाचा है।
सरकार को इस मामले में कड़ी जांच, अनुदान की वापसी, और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कोई और ऐसी योजनाओं का दुरुपयोग न कर सके।
अगर आप भी ऐसी किसी योजना का शिकार हुए हैं या किसी को जानते हैं, तो बेझिझक रिपोर्ट करें और कानूनी मदद लें।
आपकी चुप्पी ही अगली पीढ़ी के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
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