Illegal Mining: बेतवा नदी को निगल रहा है अवैध खनन का डर्टी गेम, NGT नियमों की उड़ रहीं धज्जियां
Illegal Mining: हमीरपुर के सरीला क्षेत्र में बेतवा नदी में अवैध खनन (Illegal Mining) के चलते नदी का अस्तित्व संकट में है। NGT नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और माफिया की मनमानी से बेतवा नदी गहरे गड्ढों में तब्दील हो रही है।
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रामसिंह राजपूत, विशेष संवाददाता, विराट न्यूज नेशन ।
Hamirpur UP: एक ओर सरकारें “नदी बचाओ” अभियान और पर्यावरण संरक्षण की बातें कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर हमीरपुर जनपद के सरीला क्षेत्र में Illegal Mining (अवैध खनन) का नंगा नाच बेतवा नदी को मृतप्राय बना रहा है। चिकासी थाना क्षेत्र के चंदवारी घुरौली खंड संख्या 26/8 में बेतवा नदी का जीवन संकट में है और जिम्मेदार मौन हैं।
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प्रशासनिक की आंखों में झोंक रहे धूल
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, खनन माफिया प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए NGT नियमों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। भारी-भरकम पोकलैंड मशीनों से बेतवा की जलधारा को रोककर गहरे गड्ढों में तब्दील किया जा रहा है। नदी के मध्य में अवैध पुल बनाकर ओवरलोड ट्रकों की निकासी की जा रही है, जिससे जलप्रवाह रुक गया है।
NGT Guidelines on Sand Mining
(एनजीटी के दिशानिर्देशों की विस्तृत जानकारी)
सीमाएं लांघता खनन माफिया
खनन माफिया न सिर्फ स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र से बाहर खनन कर रहे हैं, बल्कि जालौन की सीमा और वन विभाग की जमीन पर भी अवैध रूप से बालू खनन कर रहे हैं। इससे बेतवा नदी की प्राकृतिक पारिस्थितिकी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
प्रभाव:
- नदी में जलधारा बाधित
- गहरे गड्ढों के कारण नदी के स्वरूप में परिवर्तन
- जल स्तर में गिरावट
- आसपास के कृषि क्षेत्रों को खतरा
प्रशासनिक लापरवाही या संरक्षण?
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सफेदपोश का संरक्षण खनन माफियाओं को प्राप्त है। यही कारण है कि जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। डीएम घनश्याम मीना की सख्ती के बावजूद माफिया बेलगाम हैं।
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(राजनीति और अवैध खनन के रिश्ते)
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NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां
भारत की राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नदी में मशीन से खनन प्रतिबंधित है, और नदी के जलप्रवाह को किसी भी स्थिति में बाधित नहीं किया जा सकता। लेकिन बेतवा नदी के मामले में ये सभी आदेश कागज़ी साबित हो रहे हैं।
Supreme Court Order on Riverbed Mining
(सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पढ़ें)
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खनिज अधिकारी का बयान
खनिज अधिकारी विकास परमार ने दावा किया है कि जल्द ही मामले की जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि जब तक कार्रवाई होगी, तब तक क्या बेतवा नदी बच पाएगी?
क्या है समाधान?
- सीबीआई जांच को तेज़ किया जाए
- GPS से ट्रैकिंग युक्त खनन वाहनों की निगरानी
- स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा खनन क्षेत्र का ड्रोन सर्वे
- वन विभाग और खनिज विभाग की जवाबदेही तय हो
- स्थानीय जागरूकता अभियान और जन सहयोग
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बेतवा नदी न केवल बुंदेलखंड की जीवनरेखा है, बल्कि लाखों लोगों की पेयजल, सिंचाई और पर्यावरणीय संतुलन की आधारशिला भी है। यदि आज भी प्रशासन और आमजन ने आंखें मूंदे रखीं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह नदी केवल किताबों में ही जीवित रह जाएगी।
Save Rivers Campaign – Jal Shakti Abhiyan
(सरकारी प्रयासों की जानकारी)
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