Same Sex Marriage; दो लड़कियों ने रचाई शादी – हैरान कर देगी प्रेम की यह अजब कहानी
Same Sex Marriage: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में दो लड़कियों ने मंदिर में रचाई शादी। आशा और ज्योति की प्रेम कहानी ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जानिए पूरी कहानी।
बदायूं की धरती पर इश्क ने फिर तोड़ी बेड़ियां – जब दो लड़कियों ने एक-दूसरे से रचाई शादी
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में बीते दिनों एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने समाज के ठहरे हुए सोच को झकझोर कर रख दिया। यहां दो लड़कियों ने मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई। आशा और ज्योति नाम की इन युवतियों ने बताया कि वे एक-दूसरे से बेहद प्यार करती हैं और जीवनभर साथ रहना चाहती हैं।
कहां और कैसे हुई ये शादी?
घटना बदायूं के थाना सिविल लाइंस क्षेत्र की है, जहां कचहरी परिसर स्थित शिव मंदिर में आशा और ज्योति ने विवाह की अनूठी रस्म निभाई। इस शादी में न बैंड था, न बाराती, लेकिन प्रेम का जश्न पूरे माहौल में गूंजता रहा। मंदिर के बाहर खड़े कुछ अधिवक्ताओं और राहगीरों ने इस दृश्य को देखा तो हैरान रह गए।
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वकील दिवाकर वर्मा ने निभाई अहम् भूमिका
इस प्रेम कहानी में एक अहम किरदार बने एडवोकेट दिवाकर वर्मा, जिनके चेंबर के समीप बने मंदिर में यह विवाह संपन्न हुआ। दोनों लड़कियों ने उनसे अपनी मंशा बताई और उन्होंने उन्हें सहयोग दिया। दिवाकर वर्मा के मुताबिक, “दोनों लड़कियों ने सहमति से साथ रहने की बात कही। वे बालिग हैं और कोई अवैध कार्य नहीं कर रहीं।”
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क्या कहा आशा और ज्योति ने?
आशा और ज्योति ने बताया कि वे एक-दूसरे की सहेलियां हैं और बीते तीन महीनों से एक साथ रह रही हैं। उनका कहना था – “हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और पति-पत्नी के रूप में जीवन बिताना चाहते हैं। पर कानून हमें शादी की इजाजत नहीं देता, इसलिए हमने मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और साथ जीने-मरने की कसम खाई।”
क्या है भारत में समलैंगिक विवाह की कानूनी स्थिति?
भारत में साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए धारा 377 को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिससे समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं हैं। लेकिन, भारत में same-sex marriage अब तक वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं कर सकी है।
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समाज में मची खलबली, बहस तेज
इस घटना ने इलाके में चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है। कुछ लोग इसे “प्रेम की आजादी” का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि कुछ रूढ़िवादी तबकों में असहजता और आलोचना भी देखी गई। सोशल मीडिया पर भी इस शादी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।
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प्रेम, जेंडर और अधिकार – एक व्यापक सवाल
यह घटना सिर्फ एक शादी की खबर नहीं है, बल्कि समाज के सामने एक बड़ा सवाल रखती है – क्या प्रेम को जेंडर की सीमाओं में बांधा जा सकता है? जब दो बालिग अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं तो क्या कानून और समाज को उनके फैसले को सम्मान नहीं देना चाहिए?
LGBT समुदाय को मिला समर्थन
भारत में LGBTQ+ समुदाय को अभी भी संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना, लेकिन सामाजिक स्तर पर स्वीकृति अभी दूर है। इस शादी को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने लड़कियों को समर्थन दिया और इसे “प्रेम की जीत” कहा।
सोशल मीडिया पर बजी तालियां
इस शादी की तस्वीरें और वीडियो जैसे ही वायरल हुए, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ यूज़र्स ने आशा और ज्योति को साहसी बताया, तो कुछ ने लिखा – “ये है असली प्यार, जो समाज की परवाह किए बिना अपने निर्णय पर खड़ा है।”
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” का अधिकार देता है। इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने निजी सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को वैध माना था।
सुप्रीम कोर्ट का 2018 का ऐतिहासिक फैसला यहां पढ़ें (धारा 377)
Same Sex Marriage: अब आगे क्या?
हालांकि दोनों लड़कियों की शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती, लेकिन उनके साथ रहने के अधिकार को कोई चुनौती नहीं दे सकता। अगर समाज उनका समर्थन करता है, तो यह न सिर्फ समलैंगिकों के हक में एक मजबूत कदम होगा, बल्कि मानवाधिकार की दिशा में एक बड़ी जीत भी।
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प्यार की कोई सीमा नहीं होती
आशा और ज्योति की यह प्रेम कहानी एक मिसाल है उन लोगों के लिए जो आज भी अपने जेंडर की वजह से समाज में अस्वीकार किए जा रहे हैं। उनकी शादी ने दिखाया कि जब दो दिल एक होते हैं, तो समाज की दीवारें भी झुक सकती हैं।
अब समय है कि हम सब आगे बढ़ें और हर तरह के प्रेम को समान सम्मान दें।