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हमीरपुर; पहले परिवार नियोजन के लिए होती थी मनुहार, अब नसबंदी कराने के लिए खाने पड़ रहे धक्के

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नेहा वर्मा, संपादक ।

 

छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा देते हुए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने हेतु एक समय लोगों को नसबंदी के लिए मनाना पड़ता था। नसबंदी करने वालों को जमीन के पट्टे तक दिए जाते थे। जनसंख्या नियंत्रण भले ही न हुआ हो परंतु अब लोग परिवार नियोजन के लिए जागरूक हो चुके हैं। जिसका उदाहरण हमीरपुर जनपद की राठ सीएचसी में देखने को मिलता है। जहां सप्ताह में एक दिन लगने वाले नसबंदी शिविर में नसबंदी कराने के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। दिन भर इंतजार के बावजूद नसबंदी न होने पर दर्जनों महिलाओं को अगले शिविर का इंतजार करना पड़ता है।

 

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राठ सीएचसी में सोमवार को नसबंदी शिविर आयोजित किया जाता है। जिसमें राठ, गोहांड व नौरंगा सीएचसी के अंतर्गत आने वाले नगर व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की नसबंदी की जाती है। सप्ताह में सिर्फ एक दिन शिविर लगने से नसबंदी कराने वाली महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। सावित्री, शीला, मीना, भारती, सीलू, उमा देवी, बिनीता, हीरा, रजनी, मोहनी, कुसुम, गरिया, चंदन आदि महिलाओं ने बताया कि सोमवार सुबह सीएचसी पहुंच गईं थीं। जांच के बाद दिन भर नसबंदी के लिए भूखी प्यासी इंतजार करतीं रहीं। आरोप लगाया कि नसबंदी शिविर में परिचितों व प्रभाव वाले व्यक्तियों को फार्म दिए जाते हैं।

 

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महिलाओं ने बताया कि वह लोग दिन भर इंतजार करतीं रहीं लेकिन उन्हें फार्म नहीं दिए गए। शाम करीब चार बजे तक फार्म न मिलने पर आक्रोशित महिलाओं ने जमकर नाराजगी जताई। सीएचसी अधीक्षक से मौखिक शिकायत भी की। कोई उचित आश्वासन न मिलने पर महिलाएं मायूस होकर अपने घरों को लौट गईं। सीएचसी अधीक्षक डाॅ जेपी साहू ने कहा कि नसबंदी के लिए एक ही सर्जन उपलब्ध हैं। महिलाओं की संख्या ज्यादा होने पर सप्ताह में दो दिन शिविर लगाने का प्रयास किया जा रहा है। जिन महिलाओं की नसबंदी नहीं हो पाई है उन्हें अगले सोमवार को वरीयता दी जाएगी।

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